
पाकिस्तान की ओर से लगातार आ रहे भड़काऊ और युद्ध प्रेरित बयानों पर भारत ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। गुरुवार को विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “पाकिस्तानी नेतृत्व के लापरवाह, युद्ध भड़काने वाले और नफ़रत भरे बयानों की रिपोर्टें हम देख रहे हैं। ये नया नहीं है।”
हर बार वही स्क्रिप्ट: भारत को घसीटो, असल मुद्दों से ध्यान हटाओ
रणधीर जायसवाल ने साफ कहा कि पाकिस्तान की ये रणनीति पुरानी है। हर बार आंतरिक असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए भारत को निशाना बनाया जाता है।
“ये उनका पुराना तरीका है – अपने घर की गड़बड़ियों को भारत-विरोधी बयानबाज़ी से ढकने की कोशिश।”
भारत की चेतावनी: दुस्साहस किया तो पछताना पड़ेगा
भारत ने न केवल पाकिस्तान की बयानबाज़ी को गैर-ज़िम्मेदाराना बताया, बल्कि यह भी कहा कि “हाल ही में जैसा हमने देखा, किसी भी प्रकार के दुस्साहस का परिणाम दर्दनाक हो सकता है।”
ये वाक्य कूटनीतिक भाषा में एक सख्त चेतावनी है – कि शब्दों की सीमा पार करना अब जोखिम भरा हो सकता है।
डिप्लोमेसी या ड्रामा? पाकिस्तान को तय करना है
भारत की नीति साफ है – शांति, लेकिन दृढ़ता के साथ। जहाँ एक तरफ भारत अपने विकास, सुरक्षा और वैश्विक सहयोग की दिशा में काम कर रहा है, वहीं पाकिस्तान बार-बार बयानबाज़ी के ड्रामे में फंसा दिख रहा है।

“जब दुनिया AI और स्पेस की बात कर रही है, तब भी कुछ लोग पुराने स्क्रिप्ट में फंसे हैं।”
राह कूटनीति की, या टकराव की?
भारत की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि वह प्रशांत लेकिन सतर्क पड़ोसी है। शब्दों से जंग शुरू करने की कोशिश करने वालों को भारत ने याद दिला दिया है कि “Words have consequences — especially when you ignore warnings.”
भारत ने एक बार फिर डिप्लोमैटिक भाषा में बेहद स्पष्ट संदेश दिया है — कि शांति की पहल कमजोर होने की निशानी नहीं है। पाकिस्तान को अब तय करना है कि वह बयानबाज़ी के ज़रिए headlines बनाएगा, या हकीकत में शांति के लिए काम करेगा।
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